आधुनिक होता करवा चौथ
पहले सादगी और बिना किसी शोर-शराबे से मनाए जाने वाले इस व्रत का आधुनिक और तेजी से बदलती जीवनशैली के कारण इस त्योहार में भी बदलाव आ गए है। करवा चौथ व्रत का नवीनीकरण भी होता जा रहा है, कुछ पति भी ये व्रत करने लगे हैं। जो आपसी रिश्तों के अटूट प्रेम की कहानी को दर्शाता है।आज की परिस्थिति में भी पति-पत्नी इस व्रत के माध्यम से एक दूसरे को दिल से स्वीकार करते हैं।
फिल्म, टी.वी. के प्रसार से करवा-चौथ का पर्व काफी कुछ आधुनिक हो चुका है।
टी.वी. सीरियल ने इसे इतना तड़क-भड़क वाला बना दिया है कि
सजी-धजी हुई छलनी से चांद देखना, मिट्टी के करवों की जगह आधुनिक रूप से सजे हुए करवें, पूजा की थाली भी आधुनिक हो गयी, चांद देखने छलनी की सजावट होने लगी। व्रत से कुछ दिन पहले ही कपड़े, चूड़ी, बिन्दी, मेहंदी लगाने वालों का व्यापार तेजी पकड़ने लगता है। ब्यूटी पार्लरों में भीड़ बढ़ जाती है। पति के नाम वाली मेंहदी डिजाइन लगवाना। पति का पत्नी को उपहार देना।
सोशल मीडिया के जमाने मे सज धज कर सेल्फी लेने क्रेज भी बढ गया है।
परन्तु समाज में जागरुकता आई है। मान्यताएं भी बदली हैं, लेकिन नारी के जीवन में करवा चौथ व्रत का महत्व कम नहीं हुआ। आधुनिक समय में भी महिलाएं इस व्रत को करती हैं। आज की परिस्थिति में भी पति-पत्नी इस व्रत के माध्यम से एक दूसरे को दिल से स्वीकार करते हैं। करवाचौथ का व्रत वरन् दिल से जुड़े अन्य त्योहार व परंपराएं हमें आधुनिक ही नहीं बल्कि सुसंस्कृत होने का गौरव प्रदान करते हैं।