बात करने पर भी 5100 रुपए जुर्माना,

मलगांव में कलाल समाज के आठ परिवार का बहिष्कार दुध-किराणा, इलाज को तरसे परिवार के लोग
कलाल समाज के साथ ही अन्य समाज मलगांव में करेंगे अछुत आंदोलन


बड़वाह। ग्राम मलगांव में दो युवकों के बीच हुआ विवाद समाज के लोगों को बहिष्कृत करने तक पहुंच गया। दो समाजों के बीच हुए आपसी विवाद के बाद मलगांव के कुछ दबंगों ने जायसवाल (कलाल) समाज के आठ परिवारों का सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया गया। इसके चलते ग्राम में अब कोई भी व्यक्ति उनसे नाही किसी तरह का व्यवहार कर सकता है ना ही बातचीत। यदि कोई करता पाया जाता है तो उस पर बकायदा 5100 रुपए दंड का भी प्रावधान किया गया हैं। पीड़ित परिवार बीते कई माह से प्रशासन से भी न्याय की गुहार लगा रहे है लेकिन जब उन्हें वहां भी न्याय नहीं मिला तो रविवार को समाजजनों ने बड़वाह में बैठक बुलाई। बैठक में निर्णय लिया गया कि सर्ववर्गीय जायसवाल (कलाल) महासभा द्वारा 17 मार्च को ग्राम मलगांव में बड़े स्तर पर अछुत आंदोलन निकाला जाएगा। महासभा के जिलाध्यक्ष राजेश जायसवाल ने बताया कि वहां सिर्फ जायसवाल समाज का ही मामला नहीं हैं। अन्य समाजों के साथ भी यहीं परेशानी हैं। यहां पर समाज को गांव से सबकुछ पुरी तरह बंद कर दिया गया हैं। पीड़ित परिवार किसी से बात नहीं कर सकता हैं, वहीं उनसे भी कोई बात नहीं करता हैं। दैनिक जीवन में लगने वाली मुलभूत सामग्री जैसे दुध, सब्जी, किराणा सामान भी वह गांव से नहीं खरीद सकते हैं। बात तक करने पर 5100 रुपए का दंड लगा रखा हैं। अनुसूचित समाज के लोगों को भी पंगत में बैठने नहीं दिया जाता है, वहीं रामजन्म भूमि के मोके पर गांव में निकली प्रभातफेरियों में भी शामिल नहीं होने दिया गया। ग्राम मलगांव में 1947 से पहले की स्थिति खड़ी हो गई हैं। यहां छुआछुत चरमसीमा पर हैं। गांव में खाप पंचायतें सक्रिय हो गई हैं, पंचायते खाप के रुप में कार्य कर रही हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि हमें अछुत घोषित कर दिया गया है तो हम भी अछुत बनकर गांव में आंदोलन करेंगे। 17 मार्च को गांव में ही जायसवाल समाज के साथ ही अन्य प्रताड़ित समाज के लोग गांव में अछुत आंदोलन करेंगे। जिसमें हम चप्पल निकालकर पीछे झाडु बांधकर आगे ढपली रखकर रैली निकालेंगे। बैठक में मीसाबंदी रामकिशन जायसवाल, महासभा के नगर अध्यक्ष रामेश्वर जायसवाल, कैलाश मालवीय, मुरली जायसवाल, सुरेंद्र जायसवाल, सुनील जायसवाल, अवकेश मालवीय, के साथ ही अन्य समाजजनों ने संबोधित किया। इस दौरान विजय मालवीय, परसराम मालवीय, नरेंद्र जायसवाल, हरीश जायसवाल, मोहन जायसवाल, सुदामा जायसवाल एवं अन्य समाजजन मौजूद थे।
दुश्वार हुआ जीवन जीना
ग्राम के निवासी बलराज जायसवाल ने बताया कि कुछ माह पहले गांव के ही एक युवक से आपसी विवाद हुआ था। इसके बाद हमारे समाज के लोगों को गांव से बंद कर दिया गया हैं। आज हम गांव में कई समय से अछुतों की तरह जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं। दैनिक उपयोग में आने वाली किराणा सामग्री, दुध, इलाज के साथ ही बात करने तक पर प्रतिबंध लगाया हुआ हैं। इसके लिए हम एसपी से भी मिल चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया। बलराज ने बताया कि गांव में अब हमारा जीवन जीना दुश्वार कर दिया गया हैं। इसके लिए अब समाजजनों के साथ गांव में ही आंदोलन की तैयारी की जा रही हैं।
प्रभातफेरी से रखा दुर
गांव के मुकेश सिंदिया ने बताया कि वह बलाई समाज से ताल्लुक रखते हैं। देश को आजाद हुए कई साल बीत गए लेकिन हमारे गांव में आज भी जातिवाद हावी हैं। हम उनके बीच नहीं बैठ सकते हैं। बीते दिन राम जन्मभूमि के मौके पर जब गांव में प्रभातफेरियां निकाली गई तो हमें उसमें भी शामिल नहीं होने दिया गया। मुकेश ने बताया कि जब हम प्रभातफेरी में शामिल होते थे तो हमें वहां से भगा दिया जाता था।