दिगंबर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में सिद्ध चक्र मंडल विधान किया।


सनावद— फाल्गुन माह की अष्टानिका की पूर्णिमा पर श्री पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में बड़े भक्ति भाव एवम हर्सोलास से सिद्ध चक्र  मंडल विधान मनाया गया सन्मति काका ने बताया की इस अवसर पर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक सामूहिक पूजन कर सभी समाजजनों के द्वारा रजतमय माड़ने पर आचार्य श्री 108 विप्रणत सागर जी द्वारा रचित सिद्धचक्र मंडल विधान के 120 अर्घ्य समर्पित किए गए । अचिंत्य भईया बताया  की सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन में सिद्धों की आराधना करने व सिद्ध भगवान के गुण अनुभाव का अवसर हमें प्राप्त हुआ है। सिद्ध भगवान तीनों कर्म मलों से रहित हो गए हैं। देह से रहित अनंत काल तक आनंद में विराजते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने दैनिक जीवन में मन से, वचन से,काय से, गलत काम करना, कराना एवं करने वाले की अनुमोदना करना, क्रोध के कारण, मान के कारण, माया के कारण, लोभ के कारण, किसी गलत कार्य को करने का विचार करना, गलत कार्य करने के साधन जुटाना एवं कार्य को प्रारंभ करना इस प्रकार से कुल 108 प्रकार के पापों का आश्रव करते रहते हैं। इसी कड़ी में रात्री में मंदिर जी सामूहिक आरती की गई।
इस अवसर पर  सुनील पावणा,सुरेश मुशी,सुनील मास्टर,राकेश जैन, सुधीर जैन, हेमा मुंशी, पुष्पा जैन,अंजू पाटनी, भानु बाई,मंजुला भूच़, शेफाली जैन, रेखा जैन,मीना जटाले मंजू पाटनी सहित अनेक समाजजन उपस्थित थे।