बडवाह नर्मदा घाट पर रविवार शाम को यूपी बिहार के परिवारों ने छठ पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया।
पर्व के तीसरे दिवस व्रतधारी महिलाओं ने अस्त होते सूर्य की पूजा कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद माँगकर अस्त होते सूर्य को नर्मदा जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया।
सोमवार सुबह उगते सूरज की आराधना व अर्घ्य देने
के साथ चार दिवसीय पर्व का समापन होगा।
इस व्रत में षष्ठी देवी की मिटटी की प्रतिमा बनाकर उनका आव्हान किया जाता है। षष्ठी देवी को समस्त लोकों के बालकों की रक्षा करने वाली देवी भी माना जाता है। इस व्रत के पालन से शक्ति और ब्रम्ह दोनों की आराधना का फल मिलता है। षष्ठी तिथि का संबंध भी संतान की आयु से होता है।
इस अवसर पर नर्मदा घाट पर पुरुष सिर पर रखी टोकरी में फल,मुली,गन्ना एवं ठकुआ(आटे एवं शकर से बना व्यंजन) इत्यादि लेकर पहुंचे।
वही महिलाए हाथो में पूजा आरती की थाल लिए हुए थी। सभी ने सामूहिक रूप से गन्ने का मंडप बनाकर षष्ठी देवी की पूजा की।
जैसे ही सूर्यदेव अस्त होने के करीब पहुंचे महिलाए थाली एवं कलश लेकर नर्मदा के जल में खड़ी होकर पूजा कर अर्घ्य दिया गया।
जब तक सूर्यदेव पूरी तरह से अस्त नही हुए महिलाए पानी में ही खड़ी रहकर आराधना करती रही।
इसके बाद महिलाओं ने नर्मदा जी का पूजन कर दीपदान भी किया।