सेमरला-कपास्थल और गंगातखेड़ी में अवैध रेत उत्खनन

ग्रामीणों ने एसडीएम से की शिकायत, कहा- डम्परों के निकलने से सड़क पर बने गड्डे

 

बड़वाह ग्राम पंचायत सेमरला, कपास्थल और गंगातखेडी अवैध रेत उत्खनन का गढ़ बनता जा रहा है। यहां से रेती भरकर बड़ी संख्या में ट्रक, ट्रैक्टर इन गांवों से होकर गुजरते हैं। इस अवैध उत्खनन से न सिर्फ शासन को राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि जल प्रदूषण के साथ गांवों की सड़कें डैमेज हो रही हैं।गुरुवार दोपहर 1.30 बजे सेमरला पंचायत के ग्रामीणों ने एसडीएम को शिकायती आवेदन देकर अवैध उत्खनन बंद करवाने की मांग की है। सरपंच महेश गुर्जर, उपसरपंच शंकर वर्मा, पूर्व सरपंच कालूसिंह सोलंकी सहित ग्रामीणों ने कहा की पूर्व में भी कई बार शिकायत कर चुके हैं। लेकिन, अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अगर समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो जल्द ही ग्रामवासी आन्दोलन करेंगे।

मशीनों से निकाल रहे रेत

ग्रामीणों ने बताया कि अवैध उत्खननकर्ता मशीनों के माध्यम से धडल्ले से नर्मदा किनारे से रेत निकाल रहे हैं। वहीं डम्परों को अवैध रूप से नर्मदा नदी से रेत निकालने वाले ठेकेदारों ने लगभग 8 से 10 डीजल इंजिन नदी में लगा रखे हैं। जिनसे रेत भरे इन डम्परों को धौया जाता है और पोकलेन मशीनों के जरिए रेत डम्परों को भरी जाती है।

सड़को में हो रहे बड़े-बड़े गड्ढे

अवैध रेत के परिवहन के कारण तीनों गांवों की सड़क क्षतिग्रस्त होने लगी हैं। गांव की सिंगल लेन की इस सड़क का निर्माण ग्रामीणों, बैलगाड़ी और हल्के वाहनों के लिए किया गया था। लेकिन, इस मार्ग से रेत से भरे डंपर और ट्रैक्टर निकल रहे हैं। इससे मार्ग पर बड़े बड़े गड्डे बन गए हैं, जिससे ग्रामीणों को आवागमन करने में परेशानी हो रही है।

जल प्रदूषित कर रहे उत्खननकर्ता

इसी स्थान के ठीक समीप में शासन की महती नल-जल योजना के तहत लगभग 60 ग्रामों को पेयजल की नल जल योजनान्तर्गत पीने के पानी का सप्लाय का कार्य किया जाता है। ऐसी स्थिति में डीजल इंजिन का उपयोग नदी में किया जाना और इन डीजल से अवैध डम्परों को धोए जाने से कितनी मात्रा में नर्मदा के पीने योग्य जल को दूषित किया जा रहा है।

अधिकारियों की भूमिका विचारणीय

ग्रामवासियों ने कहा कि अधिकारियों को शिकायतें करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। इस कार्य में अधिकारियों की भूमिका विचारणीय है, जबकि नर्मदा नदी से अवैध रूप से रेत निकालने एवं डीजल इंजिनों का उपयोग किए जाने को शासन ने लोक स्वास्थ्य हितों को दृष्टिगत रखते स्थायी तौर पर प्रतिबंधित लगाया है।