खरगोन 30 जून 2023। फर्जी व कुटरचित दस्तावेजों के आधार पर शासकीय नौकरी पाने वाले आरक्षक को चार विभिन्न धाराओं में 7-7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गई है। अतिरिक्त लोक अभियोजक राजकुमार अत्रे ने बताया कि अभियुक्त कपिलदेव सिंह ने यह जानते हुए कि पुलिस विभाग खरगोन में आरक्षक की नौकरी हेतु उसके द्वारा प्रस्तुत की गई अंक सूची फर्जी एवं कुटरचित है फिर भी उसने छल के प्रयोजन से कपटपूर्वक/बेईमानी से फर्जी कुटरचित अंकसूची को असली के रुप में उपयोग करके पुलिस विभाग में नौकरी हासिल करते हुए 40 वर्ष के कार्यकाल में आरक्षक से सहायक उप निरीक्षक के पद तक पहुंचा। अतिरिक्त लोक अभियोजक राजकुमार अत्रे ने बताया कि अभियुक्त कपिलदेव सिंह पिता रामचंद्र सिंह जो मूल रुप से बिहार राज्य के अलावलपुर थाना गौरीचक का निवासी है। उसने 20.10.1980 से 21.02.2020 तक की अवधि में पुलिस नौकरी का लाभ हासिल किया।
अभियुक्त कपिलदेव के जीवन में नाटकीय मोड़ तब आया जब उसे उसकी बहू की हत्या के मामले में सेंधवा पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस हत्या से व्यथित उसके समधी अखिलेश सिंह ने दस्तावेजों के साथ पुलिस थाना खरगोन में लिखित में शिकायत पेश की। अभियुक्त ने पुलिस विभाग खरगोन में आरक्षक पद पर भर्ती होने के लिए शंकर इंटर विद्यालय रसलपुर पोस्ट प्रखंड मोहनपुरा थाना पटौरी जिला समस्तीपुर बिहार की हस्तलिखित वर्ष 1971 की माध्यमिक परीक्षा सेकंड डिवीजन में उत्तीर्ण होने की प्रस्तुत की थी। पुलिस जांच में पाया गया की शंकर इंटर विद्यालय रसलपुर पोस्ट प्रखंड मोहनपुरा थाना पटौरी जिला समस्तीपुर बिहार में अभियुक्त नाम का कोई विद्यार्थी उस वर्ष शिक्षार्थी नही था। अंकसूची मे वर्णित अंकसूची क्रमांक एवं रोल नंबर आदि स्कूल रेकार्ड से मेल नहीं होने से अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में विचारण को प्रस्तुत किया गया। अनिल कुमार दंदेलिया तृतीय जिला एव सत्र न्यायाधीश खरगोन ने दस्तावेजी प्रमाण के आधार पर अभियुक्त कपिलदेव सिंह को अपराध धारा क्रमशः 420,467,468,471 का दोषी पाते हुए प्रत्येक में 7-7 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5-5 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। अभियुक्त कि सभी सजाएं एक साथ चलेगी एवं अर्थदंड के व्यतिक्रम में छः -छः माह का कारावास भुगतना होगा। अभियुक्त वर्तमान में अपनी बहूं की हत्या के मामले मे सेंधवा जेल में बंद हैं।