बड़वाह
गुरूद्वारे में श्रद्धा भाव से मनाया गया।
सर्वप्रथम सुबह पिछले दो दिनों से चल रहे श्री अखंड पाठ साहेब का समापन हुआ, उसके पश्चात स्थानीय ज्ञानी ज्ञानी बुध सिंह जी के द्वारा गुरु जी का जस गायन किया। इसी प्रकार शाम को भी विशेष दिवान सजाया गया, जिसमे सर्वप्रथम सभी ने मिलके श्लोक महिला नौवा के पाठ किए।
इसके पश्चात इंदौर से पधारे ज्ञानी श्याम सिंह जी के जत्थे ने संगत को कीर्तन सर्वण करवाया।
समिति के अध्यक्ष सरदार रविंदर सिंह भाटिया ने बताया कि
श्री गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 21 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में माता नानकी और छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद के यहाँ हुआ था, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ सेना खड़ी की और योद्धा संतों की अवधारणा पेश की।
सचिव मनप्रीत सिंहउ ने भाटिया ने बताया कि गुरु जी को एक महान शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है, श्री गुरु तेग बहादुर साहेब एक उत्कृष्ट योद्धा, विचारक और कवि भी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक बातों के अलावा ईश्वर, मन, शरीर और शारीरिक जुड़ाव के स्वरूप का विस्तृत वर्णन किया।
जब वह केवल 13 वर्ष के थे तब उन्होंने एक मुगल सरदार के खिलाफ लड़ाई में विजय प्राप्त कर खुद को प्रतिष्ठित किया।
सचिव सतविंदर सिंह एवम कोश प्रमुख सरदार अवतार सिंह ने पधारी हुई संगत का धन्यवाद ज्ञापित किया , उक्त जानकारी समिति के मिडिया प्रभारी परविंदर सिंह ने दी।