त्रिलोक राठौर ने कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम

बडवाह —हाल ही में कांग्रेस ने जारी की 144 उम्मीदवारों की सूची में बड़वाह विधानसभा से पूर्व सांसद ताराचंद पटेल के भतीजे नरेंद्र पटेल को प्रत्याशी बनाया है।पटेल को प्रत्याशी बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं में हर्ष का माहौल है तो कहीं नाराजगी भी है।टिकट वितरण से नाखुश कांग्रेस के ही सक्रिय नेता त्रिलोक राठौर ने कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है।उन्होंने इंदौर पहुंचकर बसपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बसपा की सदस्यता ग्रहण की। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी की तन.मन.धन से सेवा की। लेकिन इसके मुझे बहुत ज्यादा मान.सम्मान मिला।इसके कारण मुझे बगावत करना पड़ी।इसके साथ ही पूरी संभावना जताई जा रही है की त्रिलोक राठौर इस बार बसपा के टिकट से विधानसभा चुनाव की रणभूमि में भाजपा एवं कांग्रेस दोनों को चुनौती दे सकते है।त्रिलोक राठौर चुनावी रण में ताल ठोकने पर कांग्रेस प्रत्याशी की मुश्किलें जरूर बढ़ सकती है।क्योंकि बीते एक वर्ष से विधानसभा में अतिसक्रिय राठौर ने गांव.गांव घूमकर अपनी पैठ बनाने के प्रयास किए है।जिसका प्रभाव भी नजर आया है। उनके साथ अपनी एक युवा लॉबी भी है।यही कारण है कि राठौर की नजर ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस के वोट बैंक पर ही रहेगी। इसके साथ ही बसपा का परम्परागत मतदाता राठौर भी उनके मतों में इजाफा कर सकता है। भले ही भाजपा ने अपना प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं किया हो लेकिन बसपा में शामिल होने के बाद त्रिलोक राठौर के प्रत्याशी बनने की सम्भावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता।

एक वर्ष में अपनी सक्रियता से बनाई पहचान

42 वर्षीय त्रिलोक राठौर मुलत बड़वाह अस्तारिया के रहने वाले है।लेकिन वे पिछले कई वर्षों से इंदौर में सफल व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान बना चुके है।बीते वर्ष नवरात्र के दिनों में ही उन्होंने बड़वाह में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। तब स्थानीय कांग्रेस.भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसी विधायक सचिन बिरला ने दिए झटके से उबरने का प्रयास कर रहे थे।उस समय त्रिलोक राठौर ने कांग्रेस का झंडा थाम अपनी सक्रियता से उसे एक बार फिर कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास जगाने का प्रयास किया।यहीं कारण है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा के आगमन पर उन्हें यात्रा का सहप्रभारी बनाया। इसके साथ ही जनाक्रोश यात्रा में भी वे सहप्रभारी रहे।इसके बीच त्रिलोक ने परिवर्तन यात्रा सहित कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत कर अपनी दावेदारी को पुख्ता करने का प्रयास किया। कांग्रेस के विधानसभा टिकट की दौड़ में शामिल होने के लिए उन्होंने स्थानीय से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक के नेताओं से मुलाकात की।लेकिन जब कांग्रेस ने नरेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगाई तो अपने आपको कांग्रेस का सिपाही बताने वाले त्रिलोक ने अपनी ही पार्टी से बगावत कर बसपा का दामन थाम लिया।

कांग्रेस में बहुत मान.सम्मान मिलाए इसलिए करना पड़ी बगावत

चर्चा के दौरान त्रिलोक राठौर ने कहा कि कांग्रेस का सच्चा सिपाही होने के बाद कांग्रेस के लिए पूरी ईमानदारी एवं तन.मन से काम किया था लेकिन कांग्रेस ने मुझे ज्यादा मान.सम्मान मिला।इसी कारण मुझे कांग्रेस छोड़ने का डिसीजन लेना पड़ा। कांग्रेस पार्टी में टिकट सर्वे के आधार पर मिलेगा ऐसा बोला गया थाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं।यही कारण मुझे बगावत करना पड़ी।मेरी बगावत टिकट नहीं मिलने को लेकर नहीं है लेकिन शीर्ष नेतृत्व को चाहिए की जब टिकट वितरण हो तो कम से कम टिकट मांग रहे है।उन्हें बुलाया जाए उनसे बातचीत की जाए।लेकिन ऐसा नहीं हुआ।बसपा मुझे प्रत्याशी बनाए या नहीं बना जैसा भी निर्णय लेगी में पार्टी के साथ रहूंगा।