विलुप्त होते औषधीय पौधों से पहली बार परिचित हुए नागरिक।

बड़वाह मध्यभारत की सबसे बड़ी तिरुपति नर्सरी में तीन दिवसीय प्रदर्शनी में पहले दिन 4000 दर्शक पधारेबड़वाह : भारत की आयुर्वेद परम्परा के जनक भगवान धन्वंतरी की महर्षि चरक सहित समस्त ऋषियों का औषधीय पौधों का ज्ञान विलुप्त होता जा रहा है हमारे ऋषि मुनि प्रातः जंगलों में आश्रमों में ही निवास करते थे वहां औषधीय पौधों का निरंतर उपयोग एवं अनुसाधन करते रहते थे इस कारण प्राचीन काल में आयुर्वेद शिखर पर था उसकी प्रतिस्पर्धा में कोई चिकित्सा पद्धति नहीं थीजन-जन के रोग शोक को हराने वाले यह औषधीय पौधे दुर्लभ है उनकी उपलब्धता को सरल बनाने का एक प्रयास तिरुपति ग्रीन हाउस नर्सरी ने किया । भारतवर्ष की प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति के माध्यम से ही जटिल रोगों का सफलतापूर्वक नि:दान किया जाता था। भारत के ऋषि-मुनियों के द्वारा भगवान धन्वतरी द्वारा प्रदत्त इस चिकित्सा पद्दति में पौधों का महत्व सर्वविदित है। प्रकृति ने अनेक वृक्षों व पौधों में औषधीय गुण दिए हैं। भारतीय सनातन परंपरा में विभिन्न वृक्षों व पौधों का पौराणिक, आध्यात्मिक के साथ ही औषधीय महत्व भी है। यही कारण है कि प्राचीन भारत की आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति ही दुनिया में प्रथम चिकित्सा पद्दति मानी जाती है। समय के साथ बदलते परिवेश में आधुनिक चिकित्सा पद्दतियों के प्रचलन में आने से आयुर्वेद में प्रचलित अनेक पौधे व वृक्ष, जो अपने औषधीय गुणों के कारण विभिन्न जटिल रोगों की चिकित्सा में कारगर रहते थे, वे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए व अनेक पौधों ने प्रदूषित पर्यावरण के कारण अपना अस्तित्व ही खो दिया। विलुप्त होने की कगार पर आ चुके व विलुप्त हो चुके इन औषधीय पौधों से क्षेत्र के नागरिक पहली बार परिचित हुए । मध्यभारत की सबसे बड़ी नर्सरी मानी जाने वाली तिरुपति नर्सरी द्वारा तीन दिनी पौध प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में औषधीय गुणों वाले पौधों के साथ ही ज्योतिषीय व वास्तुशास्त्रीय महत्व रखने वाले पौधों से भी नागरिकों को रूबरू कराया गया । इस तरह का आयोजन पहली बार क्षेत्र में होने से नागरिकों में भी इस प्रदर्शनी को लेकर उत्सुकता का वातावरण है। तीन दिनी प्रदर्शनी के संबंध में तिरुपति नर्सरी के संचालक लक्ष्मणसिंह काग ने बताया कि भारतीय सनातन परंपरा में वृक्षों व पौधों का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि विभिन्न तीज-त्योहार व पर्वों पर वृक्षों की पूजा करने का विधान है। काग ने बताया कि इसे देखते हुए हमने तीन दिनी प्रदर्शनी में ऐसे पौधे नागरिक देख सकेंगे, जो आमतौर पर दिखाई नहीं देते। पौधों व वृक्षों का हमारे जीवन पर सदैव प्रभाव रहता है। इसलिए भारतीय मनीषियों ने नवग्रह वाटिका, पंच वाटिका, नक्षत्र वाटिका की अवधारणा प्रतिपादित की है। काग के अनुसार जन्म नक्षत्र के साथ ही विपरीत ग्रहों को अनुकूल करने के लिए भारतीय ज्योतिष में विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाने के लिए निर्देशित किया गया है। नागरिकों को विलुप्त होते इन पौधों के महत्व व जीवन की सुख-शांति व अच्छे स्वास्थ्य में इन पौधों की भूमिका से परिचित कराने के लिए तिरुपति नर्सरी यह अभिनव आयोजन कर रही है।वाटिकाओं के लिए सभी पौधे-तिरुपति नर्सरी के संचालक लक्ष्मणसिंह काग के अनुसार विभिन्न वाटिकाओं में लगाए जाने वाले सभी किस्म के पौधे प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जाएंगे। इसमें नक्षत्र वाटिका के लिए 27 पौधे, नवग्रह वाटिका के लिए आवश्यक 9 पौधे, तीर्थंकर वाटिका के लिए जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों से संबंधित पौधे, राशि वाटिका के लिए 12 किस्म के पौधे, सप्तर्षि वन वाटिका के लिए सात किस्म के पौधे, वास्तुमंडल वाटिका के लिए सभी आवश्यक पौधे, वायुशोधन वाटिका के लिए हवा को शुद्ध रखने वाले पौधों के साथ ही सुगंधित धूप के निर्माण में उपयोग आने वाले पौधे व अन्य वन वाटिकाओं से संबंधित सभी किस्म के पौधे इस प्रदर्शनी में उपलब्ध कराए गए हैं। काग ने बताया कि प्रदर्शनी में 30 प्रकार की वन वाटिकाओं में लगाए जाने वाले सभी किस्म के पौधों से नागरिक परिचित हुए । काग ने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से क्षेत्र सहित जिलेभर के नागरिक व पर्यावरण प्रेमी भारत की प्राचीनतम आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति व छोटे प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक होंगे।महिला कर्मचारी से करवाया शुभारंभ* तिरुपति ग्रुप में मेडिसनल पोधो की जो विशेष श्रृंखला पिछले दो वर्षो के गहन अध्ययन से एकत्रित की गई हैं। इनका शुभारंभ पिछले 17 वर्षो से कार्य कर रही 50 प्रमुख प्रशिक्षित लेबर महिला कर्मचारी श्रीमती रमा बाई वसाले के हाथों लक्की ड्रॉ माध्यम से किया गया ।तिरुपति समूह वह समूह है जहा लेबर को भी वह सम्मान दिया जाता है जो घर के परिवार के सदस्य को दिया जाता है ।

sanjay upadhyay

Sanjay Upadhyay

Journalist