

बड़वाह रेवा आश्रम विमलेश्वर उत्तर तट पर नार्मदीयब्राह्मण समाज इंदौर के 35 जोड़ो द्वारा पार्थिव पूजन किया गया।आचार्य मुकेश शुक्ला एवं संतोष शर्मा आयुष शर्मा एवं अन्य पंडितों के मार्गदर्शन में पूजन सम्पन्न हुआ। आचार्य मुकेश शुक्ला ने बताया की पार्थेश्वर पूजन करने वाले भक्तों पर सदैव शिव जी की कृपा बनी रहती है। भक्त को इस लोक में यश, वैभव प्राप्त करने के साथ ही मृत्यु के बाद जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती हैं। कलयुग में सबसे पहले मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग पूजन कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था, प्रभु के आदेश पर जगत के कल्याण के लिए उन्होंने पार्थिव लिंग बनाकर शिव अर्चना की।
पार्थिव पूजा से इच्छित फल की प्राप्ति, दुखों का नाश, पुत्रादि व धन-धान्य की प्राप्ति होती है एवं अकाल मृत्यु को भी टाल देती है। यह पूजा कल्पवृक्ष के समान फल देने वाली है। ऐसा शिव पुराण में लिखा है। सर्वविदित है कि भगवान श्रीराम ने स्वयं शिवलिंग निर्माण करने का दृढ़ संकल्प लिया था। श्री रामचरित मानस के लंका काण्ड में सेतु निर्माण के समय इसका विशेष वर्णन है। इंदौर से महेंद्र उपाध्याय अमिताभ उपाध्याय शेलन्द्र अत्रे साक्कले जोशी आशीष चौरे पारे बड़वाह से जयप्रकाश शर्मा मोहन जोशी सचिन गीते भूपेंद्र खरे आदि समाज जन उपस्थित थे।