कलेक्टर ने की महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा

बच्चों एवं माताओं के कुपोषण पर विशेष ध्यान देने के निर्देश

    खरगोन   कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने 25 अक्टूबर को महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी एवं आंगनवाड़ी पर्यवेक्षकों की बैठक लेकर महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आकाश सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमएस सिसोदिया, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती भारती आवास्या, सहायक संचालक सुश्री मोनिका बघेल उपस्थित थी।

डिस्चार्ज के साथ ही प्रसूता को बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र दिया जाए

       बैठक में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की समीक्षा के दौरान निर्देशित किया गया कि सभी पात्र महिलाओं को इस योजना का लाभ प्राथमिकता के साथ दिलाया जाए। इसी प्रकार लाड़ली लक्ष्मी योजना एवं लाड़ली बहना योजना का लाभ सभी पात्र बालिकाओं एवं महिलाओं को दिलाया जाए। इन योजनाओं के प्रकरण बनाने में समग्र आईडी एवं जन्म प्रमाण पत्र की समस्या बताये जाने पर कलेक्टर श्री शर्मा ने निर्देशित किया कि संस्थागत प्रसव के मामले में प्रसव के उपरांत महिला के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के साथ ही उसे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वे यह सुनिश्चित करें कि शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों से जन्म प्रमाण पत्र डिस्चार्ज के साथ ही जारी हो। इसी प्रकार गांव में विवाह होते ही महिला का एवं जन्म लेने वाले बच्चे का समग्र आईडी बनाया जाए। यह ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी होगी कि वह समग्र आईडी बनवाये।

       आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से दिये जाने वाले पूरक पोषण आहार (टीएचआर) और मध्यान्ह भोजन (एचसीएम) की समीक्षा के दौरान निर्देशित किया गया कि इनके वितरण में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होना चाहिए। यदि परिवहनकर्ता समय पर पोषण आहार प्रदाय नहीं करता है तो उसका पंजीयन निरस्त किया जाए। सभी पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया गया कि वे अपने क्षेत्र के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों का सतत निरीक्षण करते रहे और आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करें। जिन केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति कम हो वहां की कार्यकर्ता बच्चों के माता-पिता से भेंट कर बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र भेजने के लिए प्रोत्साहित करें। आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक अपने नियत मुख्यालय पर रहे।

प्रोजेक्ट संजीवनी से कुपोषण की होगी निगरानी

       बैठक में कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चों एवं माताओं के कुपोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जिले के सभी पोषण पुनर्वास केन्द्रों के बेड हमेशा बच्चों से भरे रहना चाहिए और कोई भी बेड खाली नहीं रहना चाहिए। कुपोषण की श्रेणी में चिन्हित सेम एवं मेम कैटेगिरी के बच्चों पर विशेष ध्यान रखना है। आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक सेम कैटेगिरी के प्रत्येक बच्चों के पालकों से गृह भेंट करेगी और उन्हें बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए सुझाव एवं प्रोत्साहन देंगी। इसी प्रकार मेम कैटेगिरी के प्रत्येक बच्चों के माता-पिता से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सम्पर्क रखेगी। कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि बच्चों के पोषण स्तर पर निगरानी रखने के लिए प्रोजेक्ट संजीवनी तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत कुपोषण दूर करने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। समाज के सक्षम व्यक्तियों से कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए पोषण आहार प्रदाय करने कहा जाएगा।

       बैठक में सभी परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे स्वास्थ्य विभाग के समकक्ष अधिकारी के साथ क्लस्टर स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम की बैठक अनिवार्य रूप से लें और इसका एक रजिस्टर भी संधारित करें। जिसमें आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के टीकाकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य पर समीक्षा की जाए।