गरीब आबादी के संस्थानों की गुणवत्ता सुधार में निजी एवं सामाजिक संस्थाएं सहयोग करें- श्री नरेन्द्र सिंह तोमर

कायाकल्प एवं नवीनीकरण के पश्चात विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने दो स्कूल भवनों का किया लोकार्पण

इंदौर के पाठक परिवार द्वारा 45 लाख रुपये से किया गया है दो स्कूल भवनों का कायाकल्प

खरगोन /बड़वाह देश में गरीब परिवार एवं उनके बच्चें पढ़ाई के लिए सरकारी स्कूलों पर तथा ईलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है। गरीब आबादी के लिए उपयोगी इन संस्थाओं की गुणवत्ताओं में निरंतर सुधार और बेहतरी के लिए निजी एवं सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। जिससे हमारा देश गरीबी और पिछड़ेपन को दूर करने में सक्षम होगा। यह बातें मप्र विधानसभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने खरगोन जिले के बड़वाह में इंदौर के पाठक परिवार द्वारा गोद लेकर दो सरकारी स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार के बाद नवीनीकरण पश्चात उनके लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

कार्यक्रम में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे, विधायक सचिन बिरला, बालकृष्ण पाटीदार, राजकुमार मेव, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा, नगर पालिका बड़वाह के अध्यक्ष राकेश गुप्ता, स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार के लिए राशि देने वाले अशोक पाठक परिवार के सदस्य विशाल पाठक, विवेक पाठक, पायल पाठक, पूर्व विधायक हितेन्द्र सिंह सोलंकी, बाबूलाल महाजन, धूलसिंह डाबर, आत्माराम पटेल, नपा उपाध्यक्ष राजेश जयसवाल, महिम ठाकुर, जय प्रकाश मूलचंदानी, शुभांगी मोघे, श्रीमती नंदा ब्राह्मणे अन्य गणमान्य नागरिक, अधिकारी कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि देश की अर्थ व्यवस्था को संचालित करने में सरकार के साथ समाजसेवियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। हमारे जीवन में दान देने की प्रवृत्ति सदैव बनी रहनी चाहिए। क्योंकि हमारी संस्कृति में दान का बड़ा महत्व है। ग्रामीण परिवेश में लोग दान का महत्व समझते हैं यह महत्व हमारे पूर्वजों ने प्रतिपादित किया है कि समाज में देने की प्रवृत्ति रहेगी तो देश हर संकट से उबरने में सक्षम रहेगा। ऐसा ही काम इंदौर के अशोक पाठक के सुपुत्रांे के द्वारा दो शासकीय विद्यालयों को गोद लेकर करीब 45 लाख रुपए की लागत से जीर्णाेदार किया गया है। देश-प्रदेश के उद्योगपतियों व समाजसेवियों को भी अपने-अपने क्षेत्रों की संस्थाओ में हो रही मूलभूत कमियों को दूर करने के लिए सहभागी बनना चाहिए।

पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे ने अपने संबोधन में कहा कि पाठक परिवार के द्वारा बड़वाह विधानसभा के दो शासकीय विद्यालय के जीर्णाेद्वार का कार्य किया गया है। इसके पहले उनके द्वारा टावरबैड़ी स्कूल का कायाकल्प किया गया है। यह एक अनुकरणीय कार्य है और इसका सभी को पालन करना चाहिए। विकास केवल सरकार के भरोसे नहीं हो सकता है हमारे पूर्वजों द्वारा जो धरोहर तैयार की गई है उनके संचालन, संधारण एवं बेहतरी के लिए कुछ न कुछ दान अपने क्षमता के अनुसार हर व्यक्ति को करना होगा। तभी हमारा समाज बदलेगा।

विधायक सचिन बिरला ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा के बिना कोई काम नही हो सकता है। अगर जीवन में अच्छी सीख लेना है तो शिक्षा बहुत जरूरी है। गरीब बच्चो को आगे बढ़ाने का काम पाठक परिवार ने लिया है। मैं उनका आभारी हूं।

उद्योगपति एवं समाजसेवाी विशाल पाठक ने कहा कि दो स्कूल भवनों को गोद लेकर उनका कायाकल्प करना हमारे परिवार का छोटा सा प्रयास है। हमारे पिताजी की जन्म स्थली बड़वाह होने की वजह से उनका मन था कि शिक्षा के क्षेत्र में कुछ काम करे। मेरे बड़े भाई विवेक पाठक, भाभी पायल पाठक ने चिंतन-मनन कर विचार किया कि गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए हमें मदद करना चाहिए। इंदौर के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे के मार्गदर्शन में तीन शासकीय विद्यालय का चयन किया। उसके बाद जर्जर विद्यालय को आधुनिक विद्यालय बनाने का हमारा अपना आज साकार हो गया है। विशाल पाठक ने कहा कि पिछले साल 18 लाख रुपए से एक स्कूल का जीर्णाेद्धार करने के बाद अब 45 लाख रुपए खर्च कर कोर्ट परिसर स्थित 2 स्कूलों के साथ आंगनवाड़ी की दशा बदल दी।

विवेक पाठक ने जर्जर स्थिति में पहुंच चुके स्कूल भवनों का पहले प्लास्टर कराया और रंगरोगन कर आकर्षक नया स्वरूप दिया है। यहां बच्चों के लिए पीने के पानी के लिए आरओ लगाने के साथ ही स्कूल में ड्रेनेज व्यवस्था, झूले, पैवर ब्लाक, फर्नीचर, टाइल्स व स्मार्ट क्लास रूम बनाया गया है। स्कूल शिक्षक रामेश्वर चौबे बताते हैं कि स्कूल भवन पहले बाहरी रूप से जर्जर स्थिति में था। स्कूल का नवीनीकरण हो चुका है अब स्कूल भव्य रूप में दिखाई देने लगा है।

विशाल पाठक ने बताया कि पिता अशोक पाठक सेवानिवृत्त बैंकर हैं। उनका कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक इंदौर में बैंकिंग का 35 साल का अनुभव रहा है। उनका अपने पैतृक गांव से काफी लगाव रहा है। उनकी इच्छा थी कि उनकी जन्म स्थली के लिए कुछ किया जाए और कुछ करने का संकल्प लिया है। पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे से मार्गदर्शन मिलने के बाद शहर की 3 शासकीय स्कूलों को गोद लेकर उनके जीर्णोद्धार में लग गए।

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