सुंदर धाम आश्रम के सप्त दिवसीय विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति।

बड़वाह – मां गंगा के अवतरण दिवस गंगा दशमी पर रविवार को नर्मदा तट पर हजारों धर्मालूओ की भीड़ नजर आई। श्रद्धालुओ ने नर्मदा जी में स्नान ध्यान के साथ विशेष पूजन अर्चन किया। सुंदर धाम आश्रम में भी सप्त दिवसीय विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति अनेक संत महात्माओं की मौजूदगी में पूजन अर्चन के साथ की गई। श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर बालकदास जी महाराज एवम श्री श्री 108 महंत नारायण दास जी महाराज ने मां नर्मदा जी का दुग्धाभिषेक कर पूजन अर्चन हजारों भक्तो के साथ वैदिक मंत्रोचार के साथ संपन्न किया। भक्तो ने विश्व कल्याण के लिए किए गए विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति पर यज्ञ नारायण भगवान के दर्शन कर यज्ञ नारायण की परिक्रमा कर पुण्य लाभ लिया। आश्रम में चल रही राम कथा के अंतिम दिवस आज व्यास पीठ पर विराजित पंडित श्याम जी मनावत ने प्रारंभ में मां गंगा के अवतरण की कथा श्रवण कराई। उन्होंने कहा की भगीरथ जी ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए मां गंगा की कठोर तपस्या की। जिसके प्रतिफल के रूप में मां गंगा का ने इस धरा पर अवतरण लिया। उन्होंने कहा की गीता कहती है की संदेह और संशय हमेशा विनाश का कारण बनते हे। इसलिए जब भी संदेह या संशय हो तो किसी समर्थ के चरणों में चले जाओ। जब अर्जुन के सामने संशय की स्थिति बनी तो वे भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पित हो गए। और वही से गीता जी का जन्म हो गया। उन्होंने कहा की जिंदगी की हर खोई हुई चीज संत के चरणों में मिल जाती हे। पंडित मनावत जी ने कहा की भगीरथ जी ने गंगा को पृथ्वी पर लाकर अपने पूर्वजों के संकल्प को पूर्ण किया था और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति करवाई। इसलिए संतान को सिर्फ माता पिता की संपति लेने का ही अधिकारी नही होना चाहिए अपितु उनके सपने और अधूरे कार्यों को भी पूर्ण करना चाहिए। और जो संतान माता पिता के संकल्प को पूरा नहीं कर पाते हे वे पितृ दोष के भागी हो जाते हे। उन्होंने कहा की भगीरथ ने राजा बनकर नहीं राज ऋषि बनकर गंगा जी की तपस्या की थी। इसलिए जीवन में संतति और समृद्धि की गंगा लाना हे तो संतो के विश्वास की कसोटी पर खरा उतरना होता हे जब हमारे जीवन में सुखी और समृद्ध गंगा का अवतरण होता हे।