बड़वाह श्री आनन्देश्वर महादेव मंदिर में चल रही भागवत सप्ताह के अन्तर्गत आज अंतिम दिवस भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता कि व्याख्या कि। कथा के अन्तर्गत शास्त्री जी ने बताया की मित्रता कैसी होनी चाहिए। श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता एक मिसाल है, सुदामा एक ग़रीब ब्राह्मण और श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश फिर भी इतनी प्रगाढ़ मित्रता की भगवान ने दो मुट्ठी चावल में सुदामा को त्रिलोक का वैभव दे दिया।वही सुदामा जी ने बचपन में गुरुकुल में गुरुमाता द्वारा दिये गए चने को खाए क्यूकी अगर भगवान कृष्ण वो चने ग्रहण कर लेते तो कृष्ण दरिद्र हो जाते जो की सुदामा जी नहीं चाहते थे।कथा का संदेश मित्रता के साथ साथ यह है कि ब्राह्मण विश्वहित के लिये स्वयं दरिद्र होना स्वीकार करा।कथा के अंत में शास्त्री जी ने बताया की भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने की राह दिखाती है। सभी रिश्तों की नाजुकता सिखाती है। भगवान को पाने के मार्ग में विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए कैसे लक्ष्य तक पहुँचना। अंत में सभी भागवत भक्तों ने पुराणपुरषोत्तम तथा शुकदेव जी का पूजन किया। गुरुदेव ने अंत में गुरुदक्षिणा के रूप में सब से हिलमिल के रहने को कहा।झांकी की प्रस्तुति में श्रीकृष्ण का सार्थक रूप अथर्व राजेंद्र शर्मा तथा सुदामा का सजीव चित्रण बड़वाहा नगर के वरिष्ठ कलाकार विजय व्यास द्वारा किया गया।कल दिनाक १८ सितंबर सुबह ९.३० बजे यज्ञ पूर्णाहुति रहेगी तथा दोपहर १२ बजे भागवत जी की ढोल नगाडो के साथ विदाई रहेगी।